उज्जैन। पिछले एक माह से जिले के विभागों में कहीं न कहीं आम आदमी के काम अटक रहे थे। विभागों के कर्मचारी जिले में चल रहे एसआईआर सर्वे में लगे थे और सरकारी तंत्र की रफ्तार धीमी हो गई थी। जिले में एसआईआर का काम बेहतर रूप से निपटा है । अब सिस्टम के ट्रेक पर आने की तैयारी हो गई है। एक बार फिर से लोगों को आस है कि अब उनके काज तेजी से निपटेंगे।
एसआईआर को लेकर जिले में कई अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक सर्वे में जुटे रहे हैं। 4 दिसंबर तक चलने वाले सर्वे को अंतिम दौर में 7 दिनों के लिए बढा दिया गया। पिछले एक माह में कई दफ्तर में लिपिक की सीट खाली ही मिली है। इस दौरान बीएलओ दिन में मतदाताओं से फार्म इकट्ठा करने के लिए करने घर-घर दस्तक दे रहे हैं। रात में फार्म एप में अपलोड करने में जुटे रहे। उन्हें 11 दिसंबर तक हर हाल में काम पूरा करना है। विभागीय प्रमुख को मानिटरिंग की जिम्मेदारी मिली रही। इस दौरान जिले में कई महत्वपूर्ण आयोजनों में भी कर्मचारियों ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया है।
रात में फार्म अपलोड की कार्रवाई
भारत निर्वाचन आयोग के एसआईआर के गंभीर काम को जिले में पूरी गंभीरता से अंजाम दिया गया है। तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर हर दो से तीन घंटे में अपडेट ले रहे हैं। बीएलओ और इतने ही सहायक के अलावा सुपरवाइजर व मॉनिटरिंग अधिकारी एसआईआर में जुटे रहे। लापरवाही बरतने वाले बीएलओ पर कार्रवाई हो चुकी है। अधिकारियों को नोटिस जारी हो चुके हैं। बीएलओ को कार्रवाई का भय बना बना हुआ है। इसी वजह से दिन में मतदाताओं के घरों से फॉर्म भरकर वापस ले रहे हैं। रात में एप में जानकारी अपलोड कर रहे हैं।
आमजन सामान्य काम के चक्कर लगा रहे-
नगर निगम के करीब पचास प्रतिशत कर्मचारियों की ड्यूटी एसआईआर में लगी है। इसके कारण खाद्यान पर्ची, मृत्यु प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहे हैं। नगर निगम की मूलभूत सुविधाओं के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहता है।निगम के करों की वसूली भी प्रभावित हो रही है। इसी तरह अन्य कार्य भी प्रभावित रहे हैं। इसी तरह शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के काम भी प्रभावित हो रहे हैं।
बीएलओ की समस्या कायम, फॉर्म वापस नहीं-
बीएलओ की अपनी परेशानियां सामने आ रही हैं। शहर और गांवों में सर्वे कर रहे बीएलओ को कई परिवार फॉर्म लेने के बाद वापस जमा नहीं कर रहे। परिवार की बहुओं की जानकारी जुटाने में दिक्कत है। उनके पिता का ईपीक नंबर ढुंढना टेढी खीर है। तलाकशुदा दंपतियों की जानकारी अपडेट करना भी चुनौती है। कई लोग बीएलओ को जानकारी ही नहीं दे रहे। लोग अधूरी जानकारी दे रहे हैं। फॉर्म भी वापस नहीं दे रहे हैं। अंतिम दौर में दो-दो, तीन-तीन चक्कर काटने पर भी बीएलओ को जानकारी एवं फार्म मिलना दुश्कर हो गया है।
